आज बहुत दिनों बाद मेने अपनी किताबों की अलमारी की तरफ रुख किया,
उस एक किताब की खोज मैं जो मुझे मेरे सवालों का हल दे सकती थी, और मैं ढूंढने लगा उसे, तभी अचानक मेरी नजर अलमारी के नीचे खाने पे गई वो वहा रखी हुई थी |
मैंने उसे उठाया और उसके कई पन्नों को पलटाया,
वो बोल पडी, “इतने दिनों बाद, how come?”
मैं उसके पन्ने पलट रहा था, “ just searching solution to my problems.”
वो बड़ी मासूमियत से बोली, “ तुम्हे इंटरनेट पे उसका जवाब नहीं मिला?”
मैं अपनी धुन मैं था, “नहीं, मेरे सवालों का हल तुममें कही है|”
वो मुझे उसके पन्ने पलटते हुए देख रही थी मानो कई दिनों बाद वो मुझसे गुफ़्तगू कर रही हो, अचानक से मैं उछल पड़ा, “ मिलगया जवाब |”
तो वो तुरंत बोली, “ अब कब मिलना है अगली बार?”
मैं चुप था और उसको बंद करके निकलने लगा, तभी पता नहीं क्या दिल मैं आया, उसकी तरफ मुडा, और जाके उसे खोला और वही उसके करीब बैठ गया|
वो मुझे देख रही थी, पर चुप थी
फिर मैंने ही पूछ लिया, “कैसी हो तुम?”
उसने कुछ नहीं कहा, शांत थी वो
“ठीक तो हो तुम?” मैंने दोबारा मैं पूँछ लिया|
वो थोड़ी देर मुझे देखने लगी और बोली, “हा ठीक हु, अगर इस अलमारी की सजावट बनके रहना मेरी ठीक होने की निशानी है, तो मैं ठीक हु|
ये जो धूल मिट्टी मुझमे के अक्षरों को धुंधला कर रही है, मेरे अस्तित्व मैं अंधेरा भर रही है, और अगर ये ठीक है तो ठीक हु मैं|
अब तुम्हे अपने महंगे मोबाइल और लैपटॉप वाले दोस्तों के सामने मुझे हाथ मैं थामना पसंद नहीं है, तुम्हारी बाहो मैं समाना अब मेरे हक़ मैं नहीं है, और अगर ये ठीक है तो ठीक हु मैं|
तुम्हारे इंतेज़ार मैं, मैं धीरे-धीरे ख़तम होती जा रही हु, जो मैं तुम्हे कहना चाहती थी पर कह नहीं पारहि हु, और वो अनकही बाते अगर ठीक है, तो ठीक हु मैं|
आज भी मैं तुम्हारे कलम की लिखावट का इंतज़ार करती हु, तुम्हारा आज भी मेरे शब्दों पे निशान बनाना और अपनी तरह से उसे लिखना याद है मुझे, अब जब उसके बारे मैं सोचती हु तो रो पडती हु, और अगर एक किताब का रोना ठीक है तुम्हारे हिसाब से तो ठीक हु मैं|
मेरी ही कहानी तुम मुझमे ना लिख के एक मोबाइल मैं टाइप कर रहे हो, मेरी बाते दुनिया को सुना रहे हो, और मेरा अस्तितत्व कही नहीं है, पर अगर ये ठीक है तुम्हारे हिसाब से तो ठीक हु मैं |”
मैं चुप था और कुछ पानी जैसा मेरी आँखों से गिरा; शायद वो शर्म के आंसू थे; उसके पन्ने का थोड़ा सा हिस्सा गिला होगया, और वो बोल पडी, “ अच्छा सुनो, अगली बार आना तो कुछ ज्यादा सवाल लाना, थोड़ा वक़्त मेरे साथ बिताना, तब शायद मैं भी कह सकूँ, ठीक हु मैं, ठीक हु मैं|”
मैंने उसे बंद करदिया, अपनी गलतियों की कहानी और नहीं सुन सकता था, उस रात मैं उसे पकड़ के सोया|
पर सच कह रही थी, दुनिया के दिखवे मैं हम अपनी असलियत भूल जाते है, जो हमसे प्यार करते है हम अकसर उनसे दूर जाते है|
दिखावा, सुंदरता, ऊंचाई कुछ इसकदर पसंद आने लगी है हमें, की अब हम अक्सर अपनी गहराई और सच्चाई भूल जाते है|
Saturday, November 30, 2019
ठीक हु मैं
a simple human being, like to live my life like a crayon to fill the world with beautiful colours..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
I am tenacious and you are my one.
It’s the time when we fall apart, You said lets break it, let’s give it a stop. You said things will not work out, lets get separated, Yo...
-
It’s the time when we fall apart, You said lets break it, let’s give it a stop. You said things will not work out, lets get separated, Yo...
-
expresso k jamane main, wo masala chai ka swad hai, Wo ek old school kitab hai. bhagti dodhti duniya main ek khubsoorat therav hai, Wo e...
No comments:
Post a Comment